Not known Details About Shiv chaisa

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

O Glorious Lord, consort of Parvati You will be most merciful . You always bless the very poor and pious devotees. Your beautiful type is adorned Along with the moon in your forehead and on your own ears are earrings of snakes' hood.

अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है। त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में shiv chalisa in hindi दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।

सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद नाम महिमा तव गाई।

शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥ जन्म जन्म के पाप नसावे ।

माता-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

कमल नयन पूजन चहं सोई ॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि Shiv chaisa भेद नहिं पाई॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

संकट में पूछत नहिं कोई ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी ।

जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी। नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥

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